किसी भी जीव को जिंदा रहने के लिए खाना, पानी और हवा की जरूरत पड़ती है। यह हमने अपने स्कूली किताबों में बचपन से पढ़ते आये हैं, परंतु क्या सच में इन्हीं तीन चीजों के बलबूते कोई भी जीव अपने जीवन का निर्वाह कर सकता है। मेरे हिसाब से शायद नहीं। परंतु यहाँ सवाल उठता है, आखिर क्यों? तो, मित्रों बता दूँ की जिंदा रहने के लिए हवा, पानी और खाने के साथ ही साथ एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) जैसे आधारभूत जैवीक चीजों की भी जरूरत पड़ती है।

जी हाँ! आपने सही सुना एंजाइम (meaning of enzymes in hindi)। इससे पहले अगर आपको जीव-विज्ञान के ऊपर थोडी रुचि रही होगी तो, आपने अवश्य ही एंजाइम के बारे में कुछ न कुछ अवश्य ही सुना होगा। यूं तो किताबों में एंजाइम के बारे में बहुत प्रकार के तथ्य आपको पढ़ने को मिल जाएंगे, परंतु किताबी भाषा में शायद ही आपको एंजाइम से जुड़ी रोचक बातों का पता चले। इसलिए मित्रों! आज का ये लेख आप लोगों की बेहतर जानकारी के लिए मैंने केवल एंजाइम के ऊपर ही केंद्रित किया है।
हम इस लेख में एंजाइम की परिभाषा, यह कैसे काम करता हैं, इसकी संरचना तथा इसके वर्गिकरण के ऊपर गहन चर्चा करेंगे। तो, मित्रों मेरे साथ एंजाइम के ऊपर आधारित इस लेख में बने रहिए और इसके नए-नए पहलुओं को उजागर करते रहिए।
एंजाइम की परिभाषा ! – Meaning Of Enzymes In Hindi
अगर मैं यहाँ पर एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) की परिभाषा के बारे में बात करूँ तो, “एंजाइम एक तरह का प्राकृतिक तथा जैवीक उत्प्रेरक (Catalyst) है जो की जीवित प्राणियों के अंदर ही पाया जाता है। इसका मुख्य काम जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को (शरीर के अंदर होने वाली जैव-रासायनिक प्रक्रिया) नियंत्रित तथा तीव्र करना होता है “।इसके साथ ही साथ एंजाइम का हमारे शरीर में हजार से भी ज्यादा मुख्य काम हैं।
अगर मैं एंजाइम की संज्ञा के बारे में और भी बताऊँ तो, यह इंसानी शरीर के अंदर होने वाली पाचन और श्वसन की प्रक्रिया तथा मांसपेशी और स्नायु तंत्र की देखभाल करता है। ये शरीर में मौजूद जैव कणों के साथ लग कर उनकी मूल संरचना में बदलाव ला कर शरीर में होने वाली जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को काफी ज्यादा तीव्र कर देता है। इससे हमारे शरीर को कम समय में काफी कुछ करने का मौका मिल जाता है। एंजाइम के काम करने का ढंग हमारे शरीर की जरूरत के अनुसार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से होता है।

वैसे इनसे जुड़ी एक बहुत ही हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि, बिना एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के हमारे पाचन तंत्र को खाने को हजम करने के लिए अरबों साल लग जाते । परंतु एंजाइम की वजह से पाचन का काम आज कुछ घंटो के अंदर ही हो जाता है। मित्रों! आगे हम लोग एंजाइम की संरचना के बारे में एक संक्षिप्त दृष्टि डालेंगे, जो की आपको एंजाइम के बारे में और अधिक जानने का मौका देगा। तो, आप लोगों से अनुरोध हैं की लेख को गौर से तथा धैर्य के साथ क्रमानुसार पढ़ते रहिए।
एंजाइम किससे बना होता हैं? – Structure Of Enzymes In Hindi :-
एंजाइम के संरचना की अगर बात करूँ तो, ये अलग-अलग जीवों के अंदर अलग-अलग प्रकार के होते हैं। हालांकि ! एंजाइम का मूलभूत कण हर एक एंजाइम में एक समान ही होता है। सूक्ष्म जीवों से लेकर बहू-कोशिय जीवों तक हर किसी जीवित प्राणी के अंदर एंजाइम मौजूद रहता है। उदाहरण के स्वरूप आप E.coli को ही देख लीजिए, यह एक सूक्ष्म जीव हैं परंतु इसके अंदर भी 1,000 अलग-अलग प्रकार के एंजाइम मौजूद हैं।

खैर अगर मैं इंसानी शरीर में मौजूद एंज़ाइम्स की बात करूँ तो, यह मौलिक तौर पर एमिनो एसिड (Amino Acids) के कणों से बने हुए होते है। मित्रों! एमिनो एसिड के कण प्रोटीन (Protein) का मूलभूत आधार हैं। तो, आप एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि; एंजाइम जो हैं वह एक तरह का प्रोटीन ही हैं। जब भी कोई एंजाइम बनता हैं, तो उसके अंदर 100 से 1,000 तक अलग-अलग प्रकार के एमिनो एसिड के कण मौजूद रहते हैं जो की एक विशेष संरचना में एक-दूसरे से बंध कर एंजाइम को बनाते हैं।

वैसे एमिनो एसिड के कणों का आपस में बंधना एक तरह से रासायनिक प्रक्रिया ही हैं और इसके कारण “Amino Acid Chain” का अभ्युदय होता है। ध्यान रखें की हमारे शरीर के अंदर बहुत सारे Amino Acid के Chains मौजूद हैं, जो की एक-दूसरे से काफी ज्यादा अलग-अलग होते हैं। हर एक Amino Acid Chain एक विशेष प्रकार के आकृति में फ़ोल्ड (Fold) हो जाता हैं जो की बहुत ही जरूरी हैं। इसी वजह से शरीर में अलग-अलग आकृति के एंजाइम अलग-अलग प्रकार के जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को होने में शरीर की मदद करते हैं।
एंजाइम के संरचना और इसके कार्य करने के अंदर होता हैं गहन संबंध! :-
एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के काम करने के बारे में हम लोग आगे विस्तार से जानेंगे, परंतु अभी हम लोग इसके संरचना को इसके काम करने के प्रक्रिया के साथ जोड़ कर देखेंगे और इनके अंदर मौजूद संबंध के बारे में जानेंगे।
Sugar Maltose नाम का एक जैविक चीज़ को “Maltase” नाम का एक एंजाइम तोड़ता हैं। बता दूँ की Sugar Maltose के अंदर ग्लूकोज के दो कण होते हैं जो की एक दूसरे से बॉन्ड के जरिये बंधे हुए होते हैं। तो, Maltase एंजाइम कुछ इस तरीके से बना हुआ होता हैं की, यह अति सरलता के साथ Sugar Maltose के दो कणों को एक-दूसरे अलग कर देता हैं। इससे Sugar Maltose की मूलभूत संरचना नष्ट नहीं होता है, जो की Maltase एंजाइम की कार्य दक्षता को भी दर्शाता हैं।
मित्रों! एंजाइम का काम जैविक कणों को तोड़ने के साथ ही साथ आपस में जोड़ने का भी होता हैं। इसलिए इसके कार्य-प्रणाली को हमारे लिए समझना बहुत ही जरूरी हैं। मैंने आगे एंजाइम के कार्य-प्रणाली के बारे में आप लोगों को कहा हैं, तो लेख के उस भाग को अवश्य ही ध्यान से पढ़ने की जरूरत हैं।
वैसे आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, एंजाइम का जो काम करने का ढंग हैं वह बहुत ही सरल हैं। इसलिए इसको हम सरलता के साथ ही जानेंगे।
एंजाइम कैसे काम करता हैं? – How Enzyme Work In Hindi? :-
जैसा की मैंने पहले ही कहा है की, एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के काम करने का ढंग बहुत ही सरल हैं। इसलिए हम लोग दो छोटे से सिद्धांत को आधार मानते हुए, इसके बारे में जानेंगे।

तो, एंजाइम का कार्य-प्रणाली “Lock And Key” मॉडेल तथा “Induced Fit Model” के ऊपर आधारित है। वैसे बता दूँ की लॉक एंड की मॉडेल को सबसे पहले 1894 में ढूंढा गया था। इसके तहत एंजाइम के अंदर एक प्रकार का “Active Site” होता हैं जो की एक विशेष जैवीक कण (Substrate) के लिए ही बना हुआ होता हैं। इसलिए एक्टिव साइट के अंदर एक विशेष प्रकार का Substrate ही लग सकता हैं।
सरलता के लिए चलिये एक उदाहरण को लेते हैं, एक ताला और एक चाबी हैं। यहाँ पर ताला “Enzyme” और चाबी “Substrate” हैं। तो, जिस प्रकार से उचित ताला के अंदर उचित चाबी ही प्रवेश कर सकता हैं। ठीक उसी तरह उचित Enzyme के अंदर उचित Substrate ही प्रवेश कर सकता हैं। बाद में जब Substrate एंजाइम के अंदर होता हैं, तो एंजाइम के विशेष “Receptors” Substrate के संरचना में बदलाव ला कर उसे तोड़ देते हैं। इससे Substrate शरीर के लिए जरूरी जैव-रासायनिक प्रक्रिया में शामिल होने के साथ ही साथ उस प्रक्रिया को तीव्र भी करता हैं।
Induced Fit Model और एंजाइम के काम करने का ढंग! :-
वर्तमान के समय में एंजाइम के काम करने के ढंग को Induced-Fit-Model के साथ जोड़ा जाता हैं। वैसे Lock And Key मॉडेल और Induced-Fit-model एक तरह से एक ही हैं, हालांकि Induced-Fit-Model में थोड़ा सुधार अवश्य ही किया गया हैं। तो, अगर मेँ यहाँ पर Induced-Fit-Model की बात करूँ तो इस मॉडेल के अंदर एंजाइम का एक्टिव साइट अपने आकार को परिवर्तित करने में सक्षम रहता है।

इस मॉडेल से जुड़ी खास बात यह है की, यहाँ पर एंजाइम को अपना काम करने के लिए Substrate के ऊपर निर्भर रहना पड़ता हैं। जी हाँ! Substrate ही वह चीज़ हैं जो की एंजाइम के एक्टिव साइट को सक्रिय होने का सिग्नल देता हैं। Substrate के आने से पहले एंजाइम का एक्टिव साइट सुप्त अवस्था में रहता है। जैसे ही Substrate एंजाइम के पास पहुँच जाता हैं तब, एंजाइम का एक्टिव साइट अपने आकार में परिवर्तन ला कर Substrate को पकड़ लेता हैं और इसको तोड़ने का प्रक्रिया शुरू कर देता है।
ऐसे में गौरतलब बात यह हैं की, इस मॉडेल के अनुसार एक ही एंजाइम से अलग-अलग प्रकार के Substrate तोड़े जा सकते हैं और इसके साथ ही साथ यह काफी तेज भी हैं। मित्रों! इस मॉडेल में Substrate को एंजाइम के साथ मिलने से पहले अपने से ही एंजाइम को अपने लिए संरक्षित करके रखना पड़ता हैं। क्योंकि अगर कोई अलग पदार्थ एंजाइम को Substrate से पहले ही एक्टिव करके उससे जुड़ जाए तो बहुत ही बड़ी समस्या हो सकती हैं।
इसलिए इस मॉडेल के अंदर कई जगहों पर एक एंजाइम से जुडने के लिए कई सारे Substrate के अंदर प्रतियोगिता भी देखी जा सकती हैं।
एंजाइम के काम करने के लिए अनुकूल परीस्थिति! :-
एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) सही से काम करने के लिए कुछ इकाइयों पर निर्भर करता हैं, उन इकाइयों में से सबसे मूल इकाई हैं तापमान। जी हाँ,मित्रों! हमारे शरीर में मौजूद हर एक एंजाइम अच्छे तरीके से काम करने के लिए एक विशेष प्रकार के तापमान की मांग करता हैं। मुख्य रुप से यह तापमान 37 °C हैं। इस तापमान में इंसानी शरीर में मौजूद एंजाइम अपने पूर्ण दक्षता के साथ काम कर सकता हैं, तथा तापमान में गिरावट या बढ़ोतरी इसके काम करने के तीव्रता को कम कर देता हैं।

शरीर में बहुत प्रकार के एंजाइम होती हैं और यह काम करने के लिए pH स्केल के ऊपर भी निर्भर रहते है। हालांकि! कितने pH में कोन सा एंजाइम काम करेगा, यह सिर्फ उस एंजाइम को देखने के बाद ही पता चलेगा। वैसे उदाहरण के लिए बता दूँ की, पेट में मौजूद एंज़ाइम 2 pH (एसिडिक) में अच्छे तरीके से काम करता हैं, तथा आंतों में मौजूद एंजाइम 7.5 pH (आल्कालाइन) में ही सक्रिय हो पाता हैं।
अगर परिवेश बहुत ही ज्यादा गरम या एसिडिक/आल्कालाइन हो जाये तो एंजाइम का आकार अपने-आप ही बदल जाता हैं और नष्ट भी हो जाता है। इसीलिए एंजाइम को प्रभावित करने वाले बाहरी कारकों के ऊपर भी विशेष दृष्टि देना बहुत ही जरूरी हैं।
एंजाइम हमारे शरीर के लिए आखिर क्यों जरूरी हैं ? – Importance Of Enzymes In Hindi :-
संसार में कोई भी चीज़ बिना किसी कारण के बनी नहीं होती हैं और एंजाइम का (meaning of enzymes in hindi) भी हमारे शरीर में बहुत ही ज्यादा महत्व हैं। चलिये लेख के इस भाग में इसके बारे में भी एक नजर डाल लेते हैं।
यूं तो एंजाइम हमारे शरीर के अंदर कई सारे काम करता हैं, परंतु मैंने इसके 3 मुख्य कार्यों को चुना हैं जिसके बारे में मेँ आप लोगों को यहाँ बताऊंगा।
(i) पाचन क्रिया में मदद करना :- हम जो भी खाते हैं उसे एंजाइम छोटे-छोटे कणों (ग्लूकोज) में तोड़ने में शरीर की मदद करता हैं। इसके चलते शरीर को जिंदा रहने के लिए खाने से ऊर्जा मिल पाता हैं।

(ii) D.N.A रेप्लीकेशन :- हमारे शरीर को बढ्ने तथा कोशिय विभाजन के लिए एंजाइम की जरूरत पड़ती हैं। D.N.A रेप्लीकेशन में एंजाइम शरीर में मौजूद D.N.A को रेप्लीकेट करने में मदद करता हैं। इससे आसानी के साथ हमारा शरीर कोशिय विभाजन कर पाती हैं।
(iii) लीवर एंज़ाइम्स :-हमारे शरीर के अंदर हर समय कुछ न कुछ हानिकारक पदार्थ/चीज़ प्रवेश करता ही रहता हैं। इसलिए शरीर को इससे बचने के लिए लीवर की जरूरत पड़ती हैं। हमारा लीवर शरीर को इन विषैले पदार्थों से बचाता है। लीवर के अंदर मौजूद तरह-तरह के एंजाइम इन विषैले पदार्थों को तोड़ते हुए शरीर से बाहर कर देता हैं।
एंजाइम का वर्गिकरण – Classification Of Enzymes In Hindi :-
मित्रों! हम लोग यहाँ पर एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के वर्गिकरण के बारे में जानेंगे। मैंने यहाँ पर एक-एक करके एंजाइम के 6 मुख्य वर्गों के बारे में आप लोगों को बताया हैं, इसलिए इसे जरा गौर से पढ़िएगा।
1) Oxidoreductases :-
एंजाइम का यह वर्ग मूल रूप से “Oxidation” और “Reduction” की प्रक्रियाओं को तीव्र करने में सहायक होता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Acetyl Coenzyme A आता हैं जो की Pyruvate Dehydrogenase से oxidize हो कर आता हैं।
2) Transferases :-
एंजाइम का ये वर्ग Receptor और Donor मॉलिक्यूल के अंदर “Functional Group” के आदान-प्रदान का काम करता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Transaminase जैसे एंजाइम आते हैं।
3) Hydrolases :-
एंजाइम का यह वर्ग “Hydrolysis” के प्रक्रिया को तीव्र करने का काम करता हैं। ये एंजाइम हाइड्रोलाईसिस के प्रक्रिया में वॉटर के मॉलिक्यूल को जोड़ कर बॉन्ड को तोड़ने में मदद करता हैं। एंज़ाइन के इस श्रेणी में Pepsin Hydrolyzes जैसे एंजाइम आते हैं।
4) Lyases :-
एंजाइम का यह वर्ग किसी भी कम्पाउण्ड के अंदर मौजूद डबल बॉन्ड (=) को तोड़ने का काम करता हैं। इसके लिए ये एंजाइम वॉटर, कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया का इस्तेमाल करता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Aldolase जैसे एंजाइम आते हैं।

5) Ligases :-
एंजाइम का यह वर्ग मॉलिक्यूल की “Ligation” के प्रक्रिया में यानी मॉलिक्यूल को जोड़ने की प्रक्रिया में हिस्सा लेता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में DNA Ligase जैसे एंजाइम आते हैं।
6) Isomerases :-
एंजाइम का यह वर्ग मॉलिक्यूल के “Isomerization” की प्रक्रिया में मदद करता हैं। वैसे इस प्रक्रिया में मॉलिक्यूल का मूल आकृति और संरचना बदल जाता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Phosphoglucomutase जैसे एंजाइम आते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
हमने पूरे लेख में एंजाइम (enzymes in hindi) के संज्ञा से लेकर इसके काम करने का ढंग तथा वर्गिकरण के बारे में जाना। परंतु अभी भी कुछ बातों को जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी हैं। जब भी एंजाइम की बात आती हैं तो उसके साथ ही साथ “Cofactor” जैसा एक शब्द आपको सुनने को अवश्य ही मिलेगा। तो, आखिर यह Cofactor क्या हैं? चलिये इसके बारे में जानते हैं।
हमारे शरीर के अंदर कुछ ऐसे भी एंजाइम मौजूद हैं जो की अपने बिना नॉन-प्रोटीन (Non-Protein) पार्ट के काम नहीं कर सकती हैं। तो, एंजाइम के साथ यह नॉन-प्रोटीन पार्ट भी Substrate को तोड़ने के काम में हिस्सा लेता हैं। एंजाइम के इसी नॉन-प्रोटीन पार्ट को ही “Cofactor” कहते हैं। उदाहरण के लिए हम यहाँ पर “Carbonic Anhydrase” को ही ले लेते हैं। यह एंजाइम शरीर में pH को नियंत्रित करने में शरीर की मदद करता हैं। वैसे बिना “Zinc Ion” के यह एंजाइम काम नहीं कर पाता हैं, इसलिए Zinc Ion इस एंजाइम का Cofactor यानी नॉन-प्रोटीन पार्ट है।

मित्रों! मुझे लगता है की इस लेख के जरिये आप लोगों को एंजाइम की विशेषताओं के बार में पता चल ही चुका हैं। इसलिए लेख के अंतिम भाग में मेँ आप लोगों से आग्रह करना चाहूँगा की, आपका एंजाइम को लेकर क्या राय हैं! यूं तो एंजाइम शरीर की काफी ज्यादा मदद करता हैं परंतु क्या यह हमारे जिंदा रहने के लिए अनिवार्य हैं? क्या हम लोग बिना एंजाइम के जीवित नहीं रह सकते हैं! वैसे यह बात तो सत्य हैं की बिना एंजाइम के हमें बहुत सारी कठिनाईओं का सामना कर पड़ सकता हैं, पर वो कठिनाई आखिर-आखिर क्या-क्या हो सकते हैं?
Sources :- www.medicalnewstoday.com, www.byjus.com, www.howstuffworks.com, www.healthline.com
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Enzyme Enzyme Structure Mechanism Of Enzyme
FAQs
कौन सा एंजाइम भोजन में उपस्थित प्रोटीन का पाचन नहीं करता है? ›
Detailed Solution. लाइपेज सही नहीं है। प्रोटीन का पाचन, अमाशय और ग्रहणी में तीन मुख्य एंजाइमों की क्रिया के माध्यम से होता है: पेप्सीन, अमाशय द्वारा स्रावित होता है, और ट्रिप्सिन और काइमोट्रिप्सिन, अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है।
एन्जाइम क्या हैं भोजन के पाचन में दो पाचक एन्जाइम्स की उपयोगिता समझाइए? ›एंजाइम का अगर एक शब्द में परिचय दें, तो कहेंगे कि यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो भोजन को हजम करने में मदद करता है। डाइजेस्टिव एंजाइम शरीर में ही बनता है। यह लार ग्रंथियों (salivary glands) और कोशिकाओं से निकलता है और पेट, पैंक्रियाज, और स्मॉल इंटेस्टाइन में रहकर भोजन को पचाने में मदद करता है।
पेट में मौजूद प्रोटीन को पचाने वाले एंजाइम का नाम निम्न में से कौन सा है? ›पेप्सिन /ˈpɛpsɪn/ एक एंडोपेप्टिडेज़ है जो प्रोटीन को छोटे पेप्टाइड्स में तोड़ देता है। यह पेट की परत के गैस्ट्रिक मुख्य कोशिकाओं में उत्पन्न होता है और मनुष्यों और कई अन्य जानवरों के पाचन तंत्र में मुख्य पाचन एंजाइमों में से एक है, जहां यह भोजन में प्रोटीन को पचाने में मदद करता है।
मानव शरीर में कितने एंजाइम पाए जाते हैं? ›एक अनुमान के अनुसार हमारे शरीर में लगभग 50-70 हजार विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं, जो शरीर के प्रत्येक मेटाबॉलिक कार्य को नियंत्रित करते हैं.
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे पाचक एंजाइम चाहिए? ›एंजाइम की कमी के लक्षण सबसे पहले आंत में दिखाई देते हैं। यही कारण है कि आप आम तौर पर अपर्याप्त एंजाइम स्तर जैसे सूजन, गैस, दस्त, कब्ज, और मल में अपचित भोजन के साथ पाचन संबंधी समस्याओं को देखते हैं। यदि आपके शरीर में पर्याप्त पाचक एंजाइम नहीं हैं, तो यह खाद्य पदार्थों को ठीक से तोड़ने में असमर्थ है।
पेट में कौन सा एंजाइम सबसे अधिक कार्य करेगा? ›उदाहरण के लिए, पेप्सिन नामक एंजाइम पेट में प्रोटीन को तोड़ता है। यदि आपके पेट में पर्याप्त एसिड नहीं है, तो पेप्सिन बेहतर तरीके से काम नहीं कर सकता है।
एंजाइम की कमी से कौन सा रोग होता है? ›एडीनोसिन डिएमीनेज एंजाइम की कमी के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कार्यहीन होता है। यह गंभीर संयुक्त प्रतिरक्षान्यूनता (SCID) नामक बीमारी का कारण बनता है।
कौन से एंजाइम टूटते हैं क्या? ›पाचन एंजाइमों के प्रकार
अग्न्याशय में बने मुख्य पाचक एंजाइमों में शामिल हैं: एमाइलेज (मुंह और अग्न्याशय में बना; जटिल कार्बोहाइड्रेट को तोड़ता है) लाइपेज (अग्न्याशय में बना; वसा को तोड़ता है) प्रोटीज (अग्न्याशय में बना; प्रोटीन को तोड़ता है)
एंजाइम की कमी के परिणामस्वरूप जहरीले यौगिकों का संचय होता है जो सामान्य अंग कार्यों को बाधित कर सकता है और महत्वपूर्ण जैविक यौगिकों और अन्य मध्यवर्ती उत्पादन में विफलता का कारण बन सकता है।
पेट में पाए जाने वाले 3 मुख्य एंजाइम कौन से हैं? ›पेट या आमाशय (Stomach)
पेट की दीवारों में उपस्थित ग्रंथियां अमाशय रस (gastric juice) का स्राव करती हैं और इसमें तीन पदार्थ होते हैं: हाइड्रोक्लोरिक एसिड, पेपसीन एंजाइम और म्युकस.
छोटी आंत में कौन सा एंजाइम पाया जाता है? ›
ट्रिप्सिन एक पाचक एंजाइम है जो छोटी आंत में प्रोटीन को तोड़ता है। ट्रिप्सिन अग्न्याशय द्वारा एक निष्क्रिय रूप में निर्मित होता है जिसे ट्रिप्सिनोजन कहा जाता है। ट्रिप्सिनोजन सामान्य पित्त वाहिनी के माध्यम से छोटी आंत में प्रवेश करता है और सक्रिय ट्रिप्सिन में परिवर्तित हो जाता है।
ईस्ट में कौन कौन सा एंजाइम पाया जाता है? ›ज़ाइमेज़ एक एंजाइम जटिल है जो शर्करा के किण्वन को इथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में उत्प्रेरित करता है। यह प्राकृतिक रूप से यीस्ट में होता है।
सबसे अच्छा एंजाइम कौन सा है? ›लाइपेज (Lipase)
तो, ये थे वे मुख्य सबसे जरूरी एंजाइम जो हमारे पाचन तंत्र को हेल्दी तरीके से काम करने में मदद करते हैं।
एंजाइम प्रोटीन होते हैं
वे उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को अन्यथा होने की तुलना में तेज़ी से करते हैं। एंजाइमों के बिना, वे प्रतिक्रियाएँ बिल्कुल नहीं होंगी या जीवन को बनाए रखने के लिए बहुत धीमी गति से चलेंगी। उदाहरण के लिए, एंजाइम के बिना पाचन असंभव होगा ।
प्रोटीज का उत्पादन पेट, अग्न्याशय और छोटी आंत में होता है। अधिकांश रासायनिक प्रतिक्रियाएं पेट और छोटी आंत में होती हैं। पेट में, पेप्सिन प्रोटीन पर हमला करने वाला मुख्य पाचक एंजाइम है। जब प्रोटीन के अणु छोटी आंत में पहुंचते हैं तो कई अन्य अग्नाशयी एंजाइम काम करने लगते हैं।
क्या एंजाइम आपको बीमार कर सकता है? ›पाचक एंजाइम लेने के दुष्प्रभाव में शामिल हो सकते हैं:
पेट खराब, पेट दर्द और ऐंठन । दस्त । मतली । गैस और सूजन ।
बहुत अधिक पाचन एंजाइम लेने से पाचन संबंधी परेशानी के लक्षण हो सकते हैं , जिनमें शामिल हैं: कब्ज। दस्त। पेट में ऐंठन।
क्या एंजाइम की कमी से नाराज़गी हो सकती है? ›आप कभी-कभी (असाधारण रूप से) बड़े भोजन के बाद नाराज़गी, मतली और अपच महसूस कर सकते हैं। एक समय में इतनी बड़ी मात्रा में भोजन को संसाधित करने के लिए पर्याप्त पाचक एंजाइम नहीं होने के कारण यह नाराज़गी होती है।
पेट किस पाचक एंजाइम का उत्पादन करता है? ›पेप्सिन एक पेट एंजाइम है जो इंजेस्टेड भोजन में पाए जाने वाले प्रोटीन को पचाने में काम करता है। गैस्ट्रिक मुख्य कोशिकाएं पेप्सिन को पेप्सिनोजेन नामक एक निष्क्रिय जाइमोजेन के रूप में स्रावित करती हैं।
पेट की दीवार से कौन सा एंजाइम निकलता है? ›पेप्सिन पाचक एंजाइम है जो प्रोटीन को तोड़ता है। गैस्ट्रिक ग्रंथियां एंजाइम पेप्सिन का स्राव करती हैं।
शरीर में एंजाइम कैसे काम करते हैं? ›
एंजाइम प्रोटीन होते हैं जो सब्सट्रेट अणुओं पर कार्य करते हैं और संक्रमण अवस्था को स्थिर करके रासायनिक प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक सक्रियण ऊर्जा को कम करते हैं। यह स्थिरीकरण प्रतिक्रिया दरों को गति देता है और उन्हें शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण दरों पर घटित करता है।
एंजाइमों के ठीक से काम नहीं करने का क्या कारण है? ›तापमान, पीएच और एकाग्रता जैसे विभिन्न कारकों से एंजाइम गतिविधि प्रभावित हो सकती है। एंजाइम विशिष्ट तापमान और पीएच रेंज के भीतर सबसे अच्छा काम करते हैं, और उप-इष्टतम स्थिति एक एंजाइम को एक सब्सट्रेट से बाँधने की क्षमता खो सकती है।
लिवर एंजाइम बढ़ने से क्या होता है? ›अगर किसी के लिवर एंजाइम का लेवल हाई हो जाता है तो यह भी इस बीमारी का संकेत हैं. एलिवेटेड लिवर एंजाइम एक ऐसा संकेत देते हैं जो बताते हैं कि लिवर डैमेज हो चुका है.
एंजाइम किसका बना होता है? ›एंजाइम प्रोटीन से बने होते हैं और बायोलॉजिकल सिस्टम में प्रतिक्रियाओं के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं.
सबसे पुराना एंजाइम कौन सा है? ›सही उत्तर एमाइलेज़ है। यह पाचन तंत्र में भोजन के साथ मिलने वाला पहला एंजाइम है। अत:, विकल्प 4 सही है।
पाचन एंजाइमों को काम करने में कितना समय लगता है? ›पाचन एंजाइमों को काम करने में कितना समय लगता है? जैसा कि बताया गया है, पाचन एंजाइमों को पेट तक पहुंचने और काम करना शुरू करने में लगभग दस मिनट लगते हैं। यही कारण है कि हम प्रत्येक भोजन से लगभग दस मिनट पहले पाचन एंजाइम की खुराक लेने की सलाह देते हैं।
क्या एंजाइमी गतिविधि के माध्यम से रोगी की बीमारी की बीमारी का निदान किया जा सकता है? ›विभिन्न रोग अवस्थाओं में एंजाइम पसंदीदा मार्कर हैं जैसे कि मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन, पीलिया, अग्नाशयशोथ, कैंसर, न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार आदि। वे प्रतिक्रिया चिकित्सा के निदान, पूर्वानुमान और मूल्यांकन द्वारा रोग प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
मानव शरीर में एंजाइम और हार्मोन के ठीक से काम करने के लिए कौन सी स्थिति आवश्यक है? ›होमोस्टैसिस पूरे शरीर में एंजाइम क्रिया के लिए इष्टतम स्थिति बनाए रखता है, साथ ही साथ सभी कोशिका कार्य भी करता है। यह आंतरिक और बाहरी स्थितियों में परिवर्तन के बावजूद निरंतर आंतरिक वातावरण का रखरखाव है।
विश्व में सबसे ज्यादा कौन सा एंजाइम पाया जाता है? ›RuBisCo एंजाइम विश्व में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे RuBP carboxylase-oxygenase कहा जाता है। इसका उपयोग कार्बन निर्धारण (Carbon fixation) के पहले चरण को उत्प्रेरित करने के लिए केल्विन चक्र (Calvin cycle) में किया जाता है।
एंजाइम कहाँ पाया जाता है? ›एंजाइम शरीर में स्वाभाविक रूप से निर्मित होते हैं। ज्यादातर एंजाइम पेनक्रियाज (अग्नाशय), पेट और छोटी आंत में बनते हैं। इसके अलावा आपकी लार ग्रंथियां भी पाचन एंजाइम्स को बनाती हैं, जो भोजन चबाने के दौरान ही उसको पचाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
पेट की आंतों को कैसे ठीक करें? ›
आंतों को दुरुस्त रखने के लिए कम से कम 20 मिनट हर दिन किसी जोरदार तरीके को चुनकर व्यायाम करें. वसायुक्त और संसाधित खाद्य पदार्थो से दूर रहें, ये कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को जन्म देती हैं. इसलिए आपको चाहिए कि आप अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा फाइबर की मौजूदगी वाले खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करें.
पेट की आंतों की जांच कैसे की जाती है? ›इसकी जांच क्लोनोस्कोपी से की जा सकती है। इसमें शौच के रास्ते से बड़ी आंत में दूरबीन को दाखिल कर बीमारी की पहचान की जाती है। हैरानी की बात यह है कि आईबीडी के लक्षण बवासीर, आंतों की टीबी से मिलते-जुलते होते हैं। इससे पहचान और इलाज कठिन होता है।
आंत में कौन सा विटामिन पाया जाता है? ›Detailed Solution. विटामिन K वह विटामिन है जो बड़ी आंत में बैक्टीरिया द्वारा संश्लेषित होता है।
कौन सा अंग सबसे अधिक एंजाइम पैदा करता है? ›माइटोकॉन्ड्रिया यूकेरियोटिक कोशिकाओं में मौजूद एक कोशिका अंग है। इसे कोशिका का बिजलीघर भी कहा जाता है। यह श्वसन प्रक्रिया में शामिल है। इसमें एटीपी उत्पादन के लिए एंजाइम होते हैं।
मानव शरीर में कितने एंजाइम होते हैं? ›राइबोजाइम को छोड़कर सभी एंजाइमों के मैक्रोमोलेक्यूलर घटकों में प्रोटीन होता है, जिसमें राइबोन्यूक्लिक एसिड होता है। हाल के अध्ययनों का अनुमान है कि मानव शरीर लगभग 1300 विभिन्न एंजाइमों का उत्पादन करता है।
छोटी आंत में पाचन एंजाइमों को नुकसान पहुंचाने से शरीर कैसे बचता है? ›आंत के स्वपाचन के खिलाफ मुख्य सुरक्षा तंत्रों में से एक म्यूकोसल एपिथेलियल बैरियर द्वारा प्रदान किया जाता है। यह बाधा आंत की दीवार में प्रवेश करने से पाचन एंजाइम सहित आंत से सामग्री के रिसाव को रोकता है।
एंजाइम में कौन सी सब्जी अधिक होती है? ›पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी में उगाए जाने वाले कच्चे फलों और सब्जियों में पहले से ही पौधों के प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम होते हैं। कच्चे खाए जाने पर सबसे अधिक एंजाइम वाले फलों और सब्जियों में पपीता, आम, अनानास, सेब, एवोकाडो, गाजर, अंगूर, पालक और टमाटर शामिल हैं।
एंजाइम बीमारी क्या है? ›पाचक एंजाइमों के ठीक से काम न करने पर पाचन तंत्र कमजोर पड़ जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है और शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो बार-बार बीमार पड़ने का कारण बनती है.
हमें पाचक एंजाइमों की आवश्यकता क्यों है? ›एक एंजाइम अपर्याप्तता का निदान करने वाले लोगों को अक्सर नुस्खे पाचन एंजाइम लेने की आवश्यकता होती है। ये पूरक शरीर को भोजन को संसाधित करने और पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से अवशोषित करने में मदद करते हैं । सबसे आम और एकमात्र एफडीए-विनियमित एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी अग्नाशयी एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (पीईआरटी) है।
कौन सा अंग शरीर में एंजाइम पैदा करता है? ›Detailed Solution. सही उत्तर विकल्प 2 है, अर्थात् अग्न्याशय।
वजन घटाने के लिए कौन सा एंजाइम सबसे अच्छा है? ›
लाइपेज एक पाचक एंजाइम है जो आपके शरीर में वसा को ग्लिसरॉल और मुक्त फैटी एसिड में तोड़कर उसके अवशोषण को बढ़ाता है (9)। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि लाइपेस के साथ पूरक करने से परिपूर्णता की भावना कम हो सकती है (10, 11)।
कौन सा एंजाइम पचता नहीं है? ›ऐसा ही एक गैर-पाचक एंजाइम एंटरोकाइनेज है, जो पाचन के दौरान आंत में छोड़ा जाता है। इसका कार्य पाचन एंजाइम ट्रिप्सिन को सक्रिय करना है।
मेरा पेट अपने आप पचता क्यों नहीं है? ›पेट खुद को पचा नहीं पाता है क्योंकि यह उपकला कोशिकाओं के साथ पंक्तिबद्ध होता है, जो बलगम पैदा करता है। यह पेट की परत और सामग्री के बीच एक अवरोध बनाता है। पाचन रस का हिस्सा बनाने वाले एंजाइम भी पेट की दीवार से स्रावित होते हैं, बिना किसी बलगम बाधा के ग्रंथियों से।
प्रोटीन को पचाने के लिए क्या खाना चाहिए? ›अनानास इसमें ब्रोमेलैन नामक पाचन एंजाइमों का एक समूह होता है, जो प्रोटीन को अमीनो एसिड में तोड़ने में मदद करता है। जिन लोगों को प्रोटीन से भरपूर चीजों को खाते ही पेट से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं उनके लिए ये बेहद फायदेमंद है। इसे रेगुलर खाने से आपका पेट पाचन तंत्र सही से प्रोटीन पचाने लगता है।
एंजाइम किसका पाचन करता है? ›पेप्सिन पाचक एंजाइम है जो प्रोटीन को तोड़ता है। गैस्ट्रिक ग्रंथियां एंजाइम पेप्सिन का स्राव करती हैं। पेट में गैस्ट्रिक ग्रंथियां पाई जाती हैं। वे पेप्सिन, रेनीन जैसे एंजाइमों का स्राव करते हैं जो प्रोटीन पर कार्य करते हैं।
एंजाइम की कमी का क्या कारण है? ›एंजाइम की कमी को आनुवंशिक रूप से लगभग हमेशा एक आवर्ती फैशन में विरासत में मिला हुआ माना जाता है, क्योंकि यह मुख्य रूप से "लॉस-ऑफ-फंक्शन" म्यूटेशन [4] का परिणाम है।
पेट में खाना कब तक रहता है? ›आपके खाने के बाद, भोजन को आपके पेट और छोटी आंत से गुजरने में लगभग छह से आठ घंटे लगते हैं। भोजन फिर आपकी बड़ी आंत (कोलन) में आगे के पाचन, पानी के अवशोषण और अंत में, बिना पचे हुए भोजन को खत्म करने के लिए प्रवेश करता है। भोजन को पूरे कोलन में स्थानांतरित होने में लगभग 36 घंटे लगते हैं।
खाना ना पचने का मुख्य कारण क्या है? ›ज्यादा तेल मसालों वाला खाना, पानी न पीना, एक्सरसाइज न करना और तनाव लेना आदि, ऐसे कई कारण आपकी पाचन क्रिया को धीमा कर सकते हैं. पाचन चंत्र के धीमी गति से कार्य करने से आपका खाना अच्छी तरह से पच नहीं पाता है और खाना आंतों में ही सड़ने लगता है.
खाना ना पचने का कारण क्या हो सकता है? ›जब शरीर में भोजन सही ढंग से पच नहीं पाता है तो ऐसे में क़ब्ज़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है। क़ब्ज़ की समस्या के कुछ और भी विशिष्ट कारण हैं जैसे- अत्यधिक मसालेदार भोजन का सेवन, अधपका मांस खाना, ज़्यादा मीठे पदार्थों का सेवन, समय पर भोजन न करना आदि।
पेट साफ न होने से कौन सी बीमारी होती है? ›- पेट में भारीपन व जलन होना
- भूख न लगना
- उलटी होना
- छाती में जलन होना
- बवासीर, भगंदर, फिशर रोग होने की संभावना बढ़ जाना
- आंतों में जख्म व सूजन हो जाना
सबसे जल्दी पचने वाला भोजन कौन सा है? ›
दलिया या खिचड़ी आसानी से पचने वाले भोजन हैं और इनमें अधिक कैलोरीज भी नहीं होती। दलिया और खिचड़ी दोनों में ही लगभग 100 से 150 कैलोरीज होती हैं, जो की वजन कम करने के लिए कारगर हैं। इन दोनों को और हेल्दी बनाने के लिए इनमें बींस, गाजर, शिमला मिर्च, प्याज जैसी सब्जियां डालें।
कौन से फल में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है? ›प्र: किस फल में सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है? उ: एवोकाडो में सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। 100 ग्राम एवोकाडो में 3 ग्राम प्रोटीन होता है।
दुनिया में सबसे अच्छा खाना कौन सा है? ›दाल-चावल भारत का सबसे सादा, सबसे मशहूर और सबसे प्रचलित भोजन है। इसको बनाना भी आसान होता है और पचाना भी। अब इसी दाल-चावल को दुनिया के वैज्ञानिकों ने सबसे अच्छा भोजन माना है।
पाचन में एंजाइम की क्या भूमिका है? ›पाचक एंजाइम उत्प्रेरक क्रिया द्वारा भोजन के जटिल अवयवों को सरल भागों में खण्डित कर देते हैं जिससे वे घुलनशील हो जाते हैं और शरीर में उनका अवशोषण हो जाता है।
पेट में कौन सा एंजाइम पाया जाता है? ›सही उत्तर विकल्प 1 है अर्थात् पेप्सिन। पेप्सिन: पेप्सिन पाचक एंजाइम है जो प्रोटीन को तोड़ता है।